याद रखें हम बच्चों को सिखाते हैं कि नदी में मत जाओ तो बच्चे नदी में नहीं जाते लेकिन जो बच्चे नदी में नहीं जाते डूबने के डर से वह तैरना भी कभी सीख नहीं पाते है और जब वह तैरना नहीं सीख पाते हैं लेकिन किसी कारण से उन्हें नदी को पार करना जरूरी हो जाता है तो उनके डूब के मरने के प्रतिशत बहुत ज्यादा है शायद नहीं यकीनन वह डूब के मर ही जाए
तो क्या उनको पानी ने डूबा करके मार दिया बिल्कुल नहीं उन्हें तैरने नहीं आता था इसके कारण वह पानी में डूब कर के मर गए
उसी तरह व्यक्ति जब जिंदगी में काम करता है बड़े-बड़े काम करता है और खूब काम करता है तो हर रोज और हर समय तनाव बनता रहता है तनाव को नहीं संभालने के कारण वह व्यक्ति धीरे-धीरे डिप्रेशन का शिकार हो जाता है और चिड़चिड़ा हो जाता है और बहुत लोग काम को धीमा कर देते हैं या आत्महत्या कर लेते हैं तो क्या यहां पर तनाव ने उनकी जिंदगी को खराब किया बिल्कुल नहीं उन्हें तनाव को संभालने नहीं आता था
जब दिमाग तनाव से भर जाता था तो मस्तिष्क को खाली करने नहीं आता था जिसके कारण से उनकी जिंदगी में या तो सफलता नहीं मिलती है या तो कोई आत्महत्या कर लेता है या तो कोई डिप्रेशन का शिकार हो जाता है कोई चिड़चिड़ा हो जाता है इसमें तनाव की कोई गलती नहीं है हमने उसे संभालना नहीं सीखा यह गलती है लेकिन जब आप यह सीख जाते हैं जैसे कि आप तैरना सीख जाते हैं तो आप सागर में तैर सकते हैं या तालाब में तैर सकते है या बाढ़ मे तैरेगे तो नहीं डूबेगे
उसी तरह जब आप तनाव को संभालना सीख जाएंगे तो आपकी जिंदगी में कितना भी तनाव आए वह तनाव आपको डिप्रेशन में, चिड़चिड़ापन में, काम को नहीं करने में, काम को कम करने में और आत्महत्या में ले जाने में कामयाब नहीं हो पाएगा क्योंकि आप तनाव को संभालने जानते हैं तो चलिए आज से नई शुरुआत करते हैं खूब तनाव लेते हैं लेकिन हर दिन उस तनाव को मस्तिक से खाली भी कर देते हैं
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